सुबह सवेरे जागिए, जब जागे हैं भोर ।
समय अमृतवेला मानिए, जिसके लाभ न थोर ।।
जब पुरवाही बह रही, शीतल मंद सुगंध ।
निश्चित ही अनमोल है, रहिए ना मतिमंद ।।
दिनकर की पहली किरण, रखता तुझे निरोग ।
सूर्य दरश तो कीजिए, तज कर बिस्तर भोग ।।
दीर्घ आयु यह बांटता, काया रखे निरोग ।
जागो जागो मित्रवर, तज कर मन की छोभ ।।
दोहे चिंतन के-
शांत हुई ज्योति घट में, रहा न दीपक नाम ।
अमर तत्व निज पथ चला, अमर तत्व से काम ।।
धर्म कर्म धर्म, कर्म का सार है, कर्म धर्म का सार ।
करें मृत्यु पर्यन्त जग, धर्म-कर्म से प्यार ।।
दुनिया भर के ज्ञान से, मिलें नहीं संस्कार ।
अपने भीतर से जगे, मानवता उपकार ।।
डाली वह जिस पेड़ की, उससे उसकी बैर ।
लहरायेगी कब तलक, कबतक उसकी खैर ।
जाति मिटाने देश में, अजब विरोधाभास ।
जाति जाति के संगठन, करते पृथ्क विलास ।।
सकरी गलियां देखकर, शपथ लीजिये एक ।
बेजाकब्जा छोड़कर, काम करेंगे नेक ।।
शिक्षक निजि स्कूल का, दीन-हीन है आज ।
भूखमरी की राह पर, चले चले चुपचाप ।।
तोड़ें उसके दंभ को, दिखा रहा जो चीन ।
चीनी हमें न चाहिये, खा लेंगे नमकीन ।।
सरसी छंद-
सुनो सुनो ये भारतवासी, बोल रहा है चीन ।
भारतीय बस हल्ला करते, होतें हैं बल हीन ।।
कहां भारतीयों में दम है, जो कर सके बवाल ।
घर-घर तो में अटा-पड़ा है, चीनी का हर माल ।।
कहां हमारे टक्कर में है, भारतीय उत्पाद ।
वो तो केवल बाते करते, गढ़े बिना बुनियाद ।।
कमर कसो अब वीर सपूतो, देने उसे जवाब ।
अपना तो अपना होता है, छोड़ो पर का ख्वाब ।।
नही खरीदेंगे हम तो अब, कोई चीनी माल ।
सस्ते का मोह छोड़ कर हम, बदलेंगे हर चाल ।।
भारत के उद्यमियों को भी, करना होगा काम ।
करें चीन से मुकाबला अब, देकर सस्ते दाम ।।
लगते अब गुरूपूर्णिमा, बिते दिनों की बात ।
मना रहे शिक्षक दिवस, फैशन किये जमात ।
शिक्षक से जब राष्ट्रपति, हुये व्यक्ति जब देश।
तब से यह शिक्षक दिवस, मना रहा है देश ।
कैसे यह शिक्षक दिवस, यह नेताओं का खेल ।
किस शिक्षक के नाम पर, शिक्षक दिवस सुमेल ।।
शिक्षक अब ना गुरू यहां, वह तो चाकर मात्र ।
उदर पूर्ति के फेर वह, पढ़ा रहा है छात्र ।
‘बाल देवो भव‘ है लिखा, विद्यालय के द्वार ।
शिक्षक नूतन नीति के, होने लगे शिकार ।
शिक्षक छात्र न डाटिये, छात्र डाटना पाप ।
सुविधाभोगी छात्र हैं, सुविधादाता आप ।।
कौन उठाये अब यहां, कागजात के भार ।
शिक्षक करे पुकार है, कैसे हो उद्धार ।।
हुये एक शिक्षक यहां, देश के प्रेसिडेंट ।
मना रहे शिक्षक दिवस, तब से यहां स्टुडेंट ।।
सारे शिक्षक साथ में, करें व्यवस्था देख ।
आज मनाने टीचर्स डे, नेता आये एक ।।
क्षिक्षा एक व्यपार है, शिक्षक कहां सुपात्र ।
प्रायवेट के नाम पर, शिक्षक नौकर मात्र ।।