1. चिंता
बड़े बड़े महल अटारी और मोटर गाड़ी उसके पास
यहां-वहां दुकानदारी और खेती-बाड़ी उसके पास ।
बिछा सके कहीं बिछौना इतना पैसा गिनते अपने हाथ,
नहीं कहीं सुकुन हथेली, चिंता कुल्हाड़ी उसके पास ।।
ख्वाब
तुझे जाना कहां है जानता भी है ।
चरण रख कर डगर को मापता भी है ।।
यहां बैठे हुये क्यों बुन रहे सपने,
निकल कर ख्वाब से तू जागता भी है ।
आदमी से वास्ता
ऊंचाई छूता हुआ खजूर, छाँव नहीं देता ।
तेजी से बहता हुआ झकोर, ठाँव नही देता ।।
जो दौलत में चूर है उसे क्या आदमी से वास्ता ।
ऊंची कोठी झोपड़ी को देख, भाव नहीं देता ।।
आदमी
ऊंचाई छूता हुआ खजूर, छाँव नहीं देता ।
तेजी से बहता हुआ झकोर, ठाँव नही देता ।।
जो दौलत में चूर है उसे क्या आदमी से वास्ता ।
ऊंची कोठी झोपड़ी को देख, भाव नहीं देता ।।
क्रोध
क्रोध में जो काँपता, कोई उसे भाते नहीं ।
हो नदी ऊफान पर, कोई निकट जाते नहीं ।
कौन अच्छा औ बुरा को जांच पाये होष खो
हो घनेरी रात तो साये नजर आते नहीं।
कौन हो तुम
कहो ना कहो ना मुझे कौन हो तुम ,
सता कर सता कर मुझे मौन हो तुम ।
कभी भी कहीं का किसी का न छोड़े,
करे लोग काना-फुँसी पौन हो तुम ।।
(पौन=प्राण)
-रमेश चौहान
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