गजल में बहर-
गज़ल जिस लय पर, जिस मात्रा पर, जिस मीटर पर लिखि जाती है, उसे बहर कहते हैं । वास्तव में बहर रूकनों के से बनते हैं, रूकनों की पुनरावृत्ति से ही बहर का निर्माण होता है । जिस प्रकार हिन्दी छंद शास्त्र में सवैया गणों की पुनरावृत्ति से बनते हैं उसी प्रकार गजल का बहर रूकनों के पुनरावृत्ति से बनते हैं ।
बहर का उदाहरण-
2122 / 2122 / 2122 फाइलातुन/फाइलातुन/फाइलातुन
यहां फाइलातुन रूकन जिसका नाम रमल है, की तीन बार पुनरावृत्ति से बनाई है । इसी प्रकार किसी भी रूकन की पुनरावृत्ति से बहर बनाया जा सकता है ।
बहर का नामकरण-
बहर का नाम=रूकन का नाम+ रूकन के पुनरावृत्ति का नाम+सालिम या मजहूफ
बहर का निर्माण रूकनों से होता है इसलिये जिस रूकन की पुनरावृत्ति हो रही है, उस मूल रूकन का नाम पहले लिखते हैं, फिर उस रूकन की जितनी बार पुनरावृत्ति हो रही है, उस आधार पर निश्चित पुनरावृत्ति के एक नाम निर्धारित है जिसे नीचे टेबल पर दिया गया, उसका नाम लिखते हैं अंत में रूकन मूल हो तो सालिम और यदि रूकन मूल न हो होकर मूजाहिफ या उप रूकन हो तो मजहूफ लिखते हैं । बहर का नामकरण और बहर निर्माण के लिये पहले रूकन और उसके नाम को जानन होगा –
रूकन-
जिस प्रकार हिन्दी छंद शास्त्र में ‘यमाताराजभानसलगा’ गण लघु गुरू का क्रम होता है उसी प्रकार उर्दू साहित्य में लाम और गाफ के समूह रूकन कहते हैं ।
रूकन के भेद-
रूकन दो प्रकार के होते हैं-
- सालिम रूकन
- मुजाहिफ रूकन
सालिम रूकन-
उर्दू साहित्य में मूल रूकन को सालिम रूकन कहते हैं । इनकी संख्या 7 होती है ।
रूकन | मात्रा | रूकन का नाम |
फईलुन | 122 | मुतकारिब |
फाइलुन | 212 | मुतदारिक |
मुफाईलुन | 1222 | हजज |
फाइलातुन | 2122 | रमल |
मुस्तफ्यलुन | 2212 | रजज |
मुतफाइलुन | 11212 | कामिल |
मुफाइलतुन | 12112 | वाफिर |
मुजाहिफ रूकन-
सालिम रूकन या मूल रूकन की मात्रा को कम करने से जो रूकन बनता है, उसे मुजाहिफ रूकन कहते हैं ।
मुजाहिफ रूकन के उदाहरण-
सालिम रूकन मुफाईलुन- 1222 के तीसरी मात्रा 2 को घटा कर 1 करने पर मुफाइलुन 1212 बनता है ।
-इसी प्रकार-
मूल रूकन मुस्तफ्यलुन- 2212 रूकन से मफाइलुन 1212, फाइलुन 212, मफऊलुन 222 बनाया जाता है ।
रूकनों के पुनरावृत्ति का नाम
पुनरावृत्त की संख्या | पुनरावृत्त का नाम |
2 बार | मुरब्बा |
3 बार | मुसद्दस |
4 बार | मुसम्मन |
बहर नामकरण का उदाहरण-
- 2122 / 2122 / 2122 फाइलातुन/फाइलातुन/फाइलातुन
- बहर का नाम=रूकन का नाम+ रूकन के पुनरावृत्ति का नाम+सालिम या मजहूफ
- यहॉं रूकन का नाम रमल है, इसकी तीन बार पुनरावृत्ति हुई इसलिये मुसद्दस होगा और मूल रूकन है, इसलिये सालिम, इस प्रकार इस बहर का नाम ‘रमल मुसद्दस सालिम’ होगा ।
- 2122 /2122 /212 फाइलातुन/फाइलातुन/फाइलुुुन
- बहर का नाम=रूकन का नाम+ रूकन के पुनरावृत्ति का नाम+सालिम या मजहूफ
- यहॉं मूल रूकन का नाम रमल है, इसकी तीन बार पुनरावृत्ति हुई इसलिये मुसद्दस होगा और किन्तु तीसरे बार फाइलातुन 2122 के स्थान पर फाइलुन 212 आया है इसलिये मजहूब होगा, इस प्रकार इस बहर का नाम ‘रमल मुसद्दस मजहूब’ होगा ।
मूल रूकन 7 होते हैं, इनकी तीन प्रकार सेदो बार, तीन बार या चार बार पुनरावृत्त किया जा सकता है, इसलिये मूल रूकन से कुल 21 प्रकार के बहर बनेंगे-
बहर | मूल रूकन का नाम | रूकन की पुनरावत्ति | रूकन का भेद | बहर का नाम |
122/ 122 | मुतकारिब | 2 बार, मुरब्बा | सालिम | मुतकारिब मुरब्बा सालिम |
122/ 122/ 122 | मुतकारिब | 3 बार, मुसद्दस | सालिम | मुतकारिब मुसद्दस सालिम |
122/122/122/122 | मुतकारिब | 4 बार, मुसम्मन | सालिम | मुतकारिब मुसम्मन सालिम |
212/ 212 | मुतदारिक | 2 बार, मुरब्बा | सालिम | मुतदारिक मुरब्बा सालिम |
212/ 212/212 | मुतदारिक | 3 बार, मुसद्दस | सालिम | मुतदारिक मुसद्दस सालिम |
212/ 212/212/212 | मुतदारिक | 4 बार, मुसम्मन | सालिम | मुतदरिक मुसम्मन सालिम |
1222/1222 | हजज | 2 बार, मुरब्बा | सालिम | हजज मुरब्बा सालिम |
1222/1222/1222 | हजज | 3 बार, मुसद्दस | सालिम | हजज मुसद्दस सालिम |
1222/1222/1222/1222 | हजज | 4 बार, मुसम्मन | सालिम | हजज मुसम्मन सालिम |
2122/2122 | रमल | 2 बार, मुरब्बा | सालिम | रमल मुरब्बा सालिम |
2122/122/2122 | रमल | 3 बार, मुसद्दस | सालिम | रमल मुसद्दस सालिम |
2122/2122/2122/2122 | रमल | 4 बार, मुसम्मन | सालिम | रमल मुसम्मन सालिम |
2212/2212 | रजज | 2 बार, मुरब्बा | सालिम | रजज मुरब्बा सालिम |
2212/2212/2212 | रजज | 3 बार, मुसद्दस | सालिम | रजज मुसद्दस सालिम |
2212/2212/2212/2212 | रजज | 4 बार, मुसम्मन | सालिम | रजज मुसम्मन सालिम |
11212/11212 | कामिल | 2 बार, मुरब्बा | सालिम | कामिल मुरब्बा सालिम |
11212/11212/11212 | कामिल | 3 बार, मुसद्दस | सालिम | कामिल मुसद्दस सालिम |
11212/11212/11212/11212 | कामिल | 4 बार, मुसम्मन | सालिम | कामिल मुसम्मन सालिम |
12112/12112 | वाफिर | 2 बार, मुरब्बा | सालिम | वाफिर मुरब्बा सालिम |
12112/12112/12112 | वाफिर | 3 बार, मुसद्दस | सालिम | वाफिर मुसद्दस सालिम |
12112/12112/12112/12112 | वाफिर | 4 बार, मुसम्मन | सालिम | वाफिर मुसम्मन सालिम |
मात्रा गिराने का नियम-
वास्तव में मात्रा गिराने का कोई नियम रिजु शास्त्र में नहीं कहा गया है किन्तु गजलकार जब गाफ यने कि दीर्घ मात्रा को बिना जोर दिये लाम यने लघु की तरह पढ़ते हैं तो इसे ही मात्रा गिराना कहते हैं । जब तक हम यह नहीं समझेगें कि मात्रा कब-कब गिराना चाहिये तबतक बहर में गजल लिखना सरल नहीं होगा । आइये इन्हीं स्थितियों को देखते हैं कि मात्रा कब-कब गिरता है-
- आ, ई, ऊ, ए, ओ स्वर तथा इन स्वरों से बने दीर्घ अक्षर को गिरा कर लघु कर सकते हैं । यहां ध्यान रखना होगा कि शाश्वत दीर्घ का मात्रा नहीं गिराया जा सकता न ही अर्ध व्यंजन के योग से बने दीर्घ को लघु किया जा सकता ।
- आ, ई, ऊ, ए, ओ स्वर तथा इन स्वरों से बने दीर्घ अक्षर को गिरा कर लघु केवल और केवल तभी कर सकते हैं जब ये दीर्घ शब्द के अंत में हो, षब्द के षुरू या मध्य में आने वाले दीर्घ को लघु नहीं किया जा सकता ।
मात्रा गिराने का उदाहरण-
- ‘राखिये’ शब्द में ‘ये’ की मात्रा गिराई जा सकती है । किन्तु शाश्वत दीर्घ शब्द जैसे‘सम’ की मात्रा नहीं गिराई जा सकती । अर्धवर्ण के योग से बने दीर्घ जैसे ‘लक्ष्य’ ‘ल$क्ष्’ दीर्घ है इसमें मात्रा नहीं गिराई जा सकती ।
- ‘काया’ श्ब्द में केवल ‘या’ का मात्रा गिराया जा सकता है ‘का’ का नहीं क्योंकि ‘का’ श्ब्द के प्रारंभ में है और ‘या’ अंत में ।
- ‘रखेगा’ शब्द में ‘गा’ का मात्रा गिराया जा सकता है ‘खे’ का नहीं क्योंकि ‘खे’ श्ब्द के मध्य में आया है ।
एक बात ध्यान में रखें केवल और केवल श्ब्द के आखिर में आये दीर्घ को गिराकर लघु किया जा सकता है प्रारंभ और मध्य के दीर्घ का नहीं ।
मात्रा गिराने के नियम के अपवाद-
- समान्यतः ऐ स्वर और इनके व्यंजन के मात्रा नहीं गिराये जाते किन्तु ‘है’ और ‘मैं’ में मात्रा गिराया जा सकता है ।
- ‘मेरा’, ‘तेरा’ और ‘कोई’ ये तीन श्ब्द हैं जिसके प्रारंभ के दीर्घ को लघु किया जा सकता है । जैसे मेरा 22 में ‘मे’ को गिरा 12 किया जा सकता है ।
सारांश-जब किसी श्ब्द के अंत में ‘ आ, ई, ऊ, ए, ओ स्वर तथा इन स्वरों से बने दीर्घ अक्षर’ आवे तो उसे गिरा कर लघु कर सकते हैं ! अपवाद स्वरूप् ‘मै’ और ‘है’ को लघु मात्रिक किया जा सकता है एवं ‘तेरा, मेरा और कोई’ श्ब्द के पहले दीर्घ को भी लघु किया जा सकता है !
सलाह-मात्रा गिराने से बचना चाहिये ।
तक्तीअ करना-
शेर में बहर को परखने के लिये जो मात्रा गणाना किया जाता है उसे तक्तीअ करना कहते हैं । यह वास्तव में किसी शब्द में लाम और गाफ का क्रम लिखना होता है जिससे निश्चित रूप से कोई न कोई रूकन फिर रूकन से बहर बनता है । गजल के मिसरे में गाफ (दीर्घ) और लाम (लघु) को क्रमवार लिखते हुये बहर का निर्धारण करना तक्तिअ कहलाता है । तक्तिअ करते समय बहर को शुद्ध रूप में लिखते हैं गिरे मात्रा के स्थान पर दीर्घ नहीं लिखते ।
तक्तिअ करने का उदाहरण पहला-
कैसे मंज़र सामने आने लगे हैं गाते गाते लोग चिल्लाने लगे हैं अब तो इस तालाब का पानी बदल दो ये कँवल के फूल कुम्हलाने लगे हैं एक कब्रिस्तान में घर मिल रहा है जिसमें तहखानों से तहखाने लगे हैं (दुष्यंत कुमार)
जहॉं पर मात्रा गिराई गई है, रंगीन और बोल्ड कर दिया गया है-
अब तो इस ता / लाब का पा / नी बदल दो
2122 / 2122 / 2122
ये कँवल के / फूल कुम्हला / ने लगे हैं
2122 / 2122 / 2122
एक कब्रिस् / तान में घर / मिल रहा है
2122 / 2122 / 2122
जिसमें तहखा / नों से तहखा / ने लगे हैं
2122 / 2122 / 2122
तक्तिअ करने का उदाहरण दूसरा-
उसे अबके वफाओं से गुज़र जाने की जल्दी थी मगर इस बार मुझको अपने घर जाने की जल्दी थी मैं अपनी मुट्ठियों में कैद कर लेता जमीनों को मगर मेरे क़बीले को बिखर जाने की जल्दी थी वो शाखों से जुदा होते हुए पत्ते पे हँसते थे बड़े जिन्दा नज़र थे जिनको मर जाने की जल्दी थी (राहत इन्दौरी)
जहॉं पर मात्रा गिराई गई है, रंगीन और बोल्ड कर दिया गया है-
उसे अबके / वफाओं से / गुज़र जाने / की जल्दी थी
1222 / 1222 / 1222 / 1222
मगर इस बा/ र मुझको अप/ ने घर जाने / की जल्दी थी
1222 / 1222 / 1222 / 1222
मैं अपनी मुट् / ठियों में कै / द कर लेता / जमीनों को
1222 / 1222 / 1222 / 1222
मगर मेरे / क़बीले को / बिखर जाने / की जल्दी थी
1222 / 1222 / 1222 / 1222
वो शाखों से / जुदा होते / हुए पत्ते / पे हँसते थे
1222 / 1222 / 1222 / 1222
बड़े जिन्दा / नज़र थे जिन / को मर जाने / की जल्दी थी
1222 / 1222 / 1222 / 1222
आलेख-रमेश चौहान