कब्ज क्या है –
अधिकांश लोगों से हम प्राय: सुनते हैं कि आज मेरा पेट साफ नहीं हुआ । मल का साफ न होना ही कब्जियत है । कब्जियत से अधिकांश लोग परेशान है । कब्ज सभी रोगों का मूल है । कहा गया है- ‘सर्वेषामेव रोगाणां निदानं कुपिता मला:’ अर्थात सभी रोगों का कारण मल का कुपित होना ही है ।
कब्ज होने का कारण –
कब्ज होने का प्रमुख कारण अनियमित खान-पान एवं अनियमित रहन-सहन दिनचर्या है, इसके अतिरिक्त इसके कारण इसप्रकार हैं-
- शौच के वेग को रोकना ।
- पानी कम पीना ।
- समय पर भोजन न करना ।
- अच्छे से चबा कर भोजन न करना ।
- जल्द-जल्दी भोजन करना ।
- भूख से अधिक भोजन करना ।
- गरिष्ठ भोजन करना ।
- नींद की कमी होना ।
- मानसिक चिंता बना रहना ।
निदान
कहा जाता है कि –‘कारण ही निवारण’ है अर्थात जो जिस कारण से उत्पन्न हो, उस कारण को ही समाप्त कर दिया जाये तो उस समस्या का निदान अपने आप हो जाता है । इसलिये कब्ज से बचने के लिये सबसे पहले ये उपाय करना चाहिये-
- अपनी दिनचर्या व्यवस्थित करें ।
- नियत समय पर भोजन करें ।
- शौच के वेग को कभी न रोकें ।
- प्रतिदिन कम से कम आठ गिलास अर्थात 2 लिटर पानी अवश्य पीयें ।
- भोजन अच्छे से चबा कर करें एवं भोजन करते समय पानी न पीयें ।
- गरीष्ठ भोजन न करें ।
- नींद अच्छे से लें ।
- प्रयास करें मानसिक चिंता न हो ।
घरेलू उपचार-
- कब्ज दूर करने का सर्वोत्तम उपाय बेल का सेवन है । मौसम अनुकूल यदि पका हुआ बेल उपलब्ध हो तो इसका सेवन कब्ज का रामबाण औषधी है । पक्के बेल के गुदे का सीधा-सीधा सेवन कर सकते हैं अथवा बेल के शरबत का भी सेवन कर सकते हैं । जिस समय पका बेल नहीं मिलता उस समय बेल का मुरब्बा अथवा सूखे बेल का चूर्ण भी अत्यंत लाभकारी है ।
- कब्ज दूर करने में भुने हुये चने का सत्तू बहुत ही कारगर होता है । इसके लिये चने को पहले अच्छे से भुन ले फिर भुने हुये चने का पीसकर आटा बना लें । स्वादानुसार काला नमक मिले लें और इसे नित्य सुबह-शाम 50 ग्राम के अनुमान से सेवन करें ।
- कब्ज अधिक हो तो हर्रा एवं ईसबगोल का मिश्रण सर्वोत्तम है । इसके लिये सबसे पहले हर्रे को एरण्ड़ के तेल में भुन लें, फिर भुनें हुये हरें का चूर्ण बना लें । इस हर्रे का चूर्ण एवं ईसबगोल की भूसी को बराबर मात्रा में मिला लें । इस मिश्रण को प्रतिदिन सोने के पूर्व एक या दो चम्मच पानी के साथ लें ।
योगासान से कब्ज दूर करना-
योगासान ही तन एवं मन से स्वस्थ रहने का एक सर्वोत्तम साधन है । भिन्न-भिन्न व्याधी के भिन्न-भिन्न योगासान कहे गये हैं । कब्ज को दूर करने के लिये निम्न आसन सुझाये गये हैं-

पश्चिमोत्तासन- इसके लिये दोनों पॉंवों को लम्बा सीधा फैलावें, फिर दोनों हाथों की अंगुलियों से दोनों पैरों के अंगुलियों को खींचकर पकड़ें, अब धीरे-धीरे अपने माथे को अपने घुटने पर लगाने का प्रयास करें । उसी क्रम में विलोम करते हुए वापस आवें ।

वज्रासन- इसके लिये घुटने के बल बैठकर, दोनों पैर के अँगूठे को जोड़ते हुये एडि़यों को फैला ले फिर फैले हुये एडि़यों के मध्य अपने नितम्भ को रखें ।

उत्तानपादासन- इसके लिये सीधे लेटकर शरीर के संपूर्ण स्नायु को ढीले कर ले, फिर दोनों पैरों को धीरे-धीरे यथा शक्ति ऊपर उठावें । प्रयास करते हुये भूमि और उठे हुये पैरों के मध्य 60 अंश का कोण बनाने का प्रयास करें । फिर उठे हुये पैर को धीरे-धीरे भूमि पर वापस रखें । यह क्रिया तीन-चार बार दोहरावें ।

जानुशिरासन – इसके लिये पहले दायें पैर को सीधा फैलायें फिर बाये पैर को की एड़ी को गुदा और अंडकोष के बीच लगायें, बायें पाद-तल से फैले हुये पैर के रान को दबावें, फिर दोनों हाथ से फैले हुये पैर की अंगुलियों को खींचें और धीरे-धीरे झुककर माथे को घुटने से लगाने का प्रयास करें । फिर इसका विलोम दूसरे पैर से यही क्रिया करें ।

पवनमुक्तासन- इसके लिये पहले एक पैर को पसार कर रखें, दूसरे पैर को घुटने से मोड़कर पेट पर लगाकर दोनों हाथों से अच्छी प्रकार दबायें । नाक को घुटनों पर लगाने का प्रयास करें । यही क्रिया दूसरे पैर से करें तत्पश्चात दोनों पैरों से यही क्रिया करें ।
मल साफ तो तन साफ
‘मल साफ तो तन साफ’ यदि कब्ज को दूर कर लिया गया तो शरीर निश्चित रूप से स्वस्थ होगा मन भी स्वस्थ रहेगा । इसलिये हमें कब्ज न हो इसके लिये गंभीर प्रयास करना ही चाहिये ।