
सफलता के दोहे
1. मन से काम 'रमेश' कर, कहते है हर कोय । मन से गिरि रज होत हैं, सागर कूप स होय ।। 2. कर्म भाग्य का मूल है, कर्म आपके हाथ । अपना कर्म 'रमेश' कर, मिले भाग्य का साथ ।। 3. गिर-गिर कर चलना सिखे, अटक-अटक कर बोल । डरना छोड़ 'रमेश' अब,, कोशिश कर दिल खोल ।। 4. खुले नयन के स्वप्न को, स्वप्न सलौने मान । कर साकार 'रमेश' अब,, मन में पक्का ठान ।। 5. सीख छुपा है भूल में, कर लो भूल सुधार । किए न यत्न 'रमेश' यदि, यही तुम्हारी हार ।। 6. स्वाद 'रमेशा' भूख में, नहीं स्वाद में भूख । भूख जीत की हो अगर, सुनें जीत की कूक ।। 7. अगर सफल होना तुम्हें, लक्ष्य डगर संधान । मन के हर भटकाव को, रोक रखो 'चौहान' ।। 8. अपनी रेखा दीर्घ कर, होगी उसकी छोट । अपना काम 'रमेश' कर, मन में ना रख खोट ।। 9. कोशिश करो 'रमेश' तुम, कोशिश से ना हार । कोशिश-कोशिश से तुम्हें, जीत करेगी प्यार ।। 10. होना सफल 'रमेश' यदि, बुनों योजना एक । मान योजना को राह तुम, चले चलों बिन ब्रेक ।।
जवानी के दोहे-
11. अरे 'रमेशा' युवक तुम, समझ युवक का अर्थ । जीवन की बुनियाद तुम, रित ना जावो व्यर्थ ।। 12. अगर 'रमेशा' तुम युवा, रखो जोश में होश । देह प्रेम के फेर में, रहो न तुम बेहोश ।। 13. काम काम के भेद को, ध्यान करो 'चाैहान' । काम वासना ही नहीं, काम कर्म की खान ।। 14. अगर 'रमेशा' पेड़ तुम, बचपन कली बलिष्ट । जवा-जवानी पुष्प है, मधु फल जरा विशिष्ट ।। 15. जीवन पथ यदि वृक्ष हो, आयु युवा है फूल । फूल वृक्ष से टूट कर, बन जाते हैं धूल ।।
-रमेश चौहान
One reply on “चौहान के दोहे”
बेहतरीन, शानदार दोहे👌👌
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