मैं गदहा घोंचू हॅूं
कुछ समझ नही पाता
मैं भारत को आजाद समझता
वे आजादी के लगाते नारे
जिसे मैं बुद्धजीवी कहता
उनसे वे निभाते भाईचारे
अपने वतन को जो गाली देता
राष्ट्र भक्त बन जाता
मैं धरती का सेवक ठहरा
वे कालेज के बच्चे
मेरी सोच सीधी-सादी
वो तो ज्ञानी सच्चे
माँ-बाप को घाव देने वाला
श्रवण कुमार कहलाता
मैं कश्मीर का निष्कासित पंड़ित
वे कश्मीर के करिंदे
मेरे आँसू झर-झर झरते
पोंछ सके न परिंदे
जो आता पास मेरे
सम्प्रदायिक हो जाता
मैं लोकतंत्र बिछा चौसर
वे शकुनी के फेके पासे
दिल्ली की गद्दी युधिष्ठिर
फस गये उसके झांसे
धृतराष्ट्र का राजमोह
दुर्योधन को ही भाता
A Hindi content writer.A article writer, script writer, lyrics or song writer and Hindi poet. Specially write Indian Chhand, Navgeet, rhyming and nonrhyming poem, in poetry. Articles on various topics. Especially on Ayurveda, Astrology, and Indian Culture. Educated based on Guru-Shishya tradition on Ayurveda, astrology and Indian culture.